Last Saturday, I attended
an event by Zee to launch their new channel ‘Zindagi’ and what pushed me to
attend the event was the very tagline of the Channel : Zindagi, Jodey Dilon Ko.
An attempt aimed at connecting two nations, I was quite excited for the launch
event, since even we have grown up watching Pakistani Plays and Pakistani shows
on PTV.
While
sitting in the hall, I penned down a few lines on the issue and I hope you all
would like it.
हम आज भी उमर शरीफ देख हॅसते हैं,
दिलों में उनके भी शाहरुख बस्ते हैं.
हुआ करती थी मंज़िल एक कभी यह,
आज अलग अलग हुए ह्मारे रास्ते हैं.
हम एक थे इतिहास के किस्सों में,
क्यूँ बाँट दिया हमें दो हिस्सों में,
क्या कोई मुझे यह समझायेगा,
क्या फर्क है इन दो हिस्सों में.
ज़मीन को अलग कर दिया हो चाहे,
पर खुश्बू मिट्टी की ना जुदा हो पाये.
नहीं है फ़ासला लाहौर अमृतसर में,
तो दिलों में फ़ासले कैसे हो पाये.
यह हवायों की मासूमियत के भी क्या कहने,
जब चलती हैं यह अमृतसर में शोर से,
ना यह देखे ना जाने कोई सरहद,
चुनरी उड़ती जाये लाहौर में.
मुझे भी हवा का झोंका बना दो यार,
मैं भी देख लूँ उधर का प्यार,
उस ज़मीन की मिट्टी को लगाना है माथे,
मुझको भी दिखा दो कोई लाहौर एक बार.
कभी कभी सोचे यह मन मेरा,
सियासत के खेल में देश लुट गया मेरा,
मेरे मन की यह कुछ ख्वाहिशें है,
इस बारें में बता, क्या ख्याल है तेरा.
क्यूँ ना इन दो भाइयों को फिर से मिलायें,
क्यूँ ना हम इक नया जहाँ बनायें,
बीती हुई कड़वी यादों को भूल,
हम अमन की आशा चारो और फैलायें.
आओ प्यार के दिये जला दें चारो और,
बांटें इतना प्यार, जिसका ना हो कोई छोर.
अब दो देशों की दूरियाँ मिट जाने दो,
क्या हो दिल्ली, क्या लाहौर.
अब दिलों की दूरियाँ मिट जाने दो,
क्या हो दिल्ली, क्या लाहौर.
While
I sincerely hope that this new channel will be a step forward, let us vow too for
a cordial Indo-Pak relationship.
Greeat efforts & poem...nd beautifull message...
ReplyDeleteJai Hind
Beauyifully described the difference(actually no difference) between two nations.
ReplyDeleteRightly said...let's bridge the gap and kill the animosity
ReplyDeleteHey Simar, very well written.
ReplyDeletewell said.. :-) :-) keep it up
ReplyDeleteTooooo good......😊😊
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